शीघ्रपतन(Premature Ejaculation) कारण, दवा, लक्षण और परहेज
शीघ्रपतन किसे कहते हैं ?-जब सम्भोग क्रिया सम्पादित करते समय शिश्न को योनि में प्रविष्ट करते ही या योनि मुख पर रखते ही वीर्य स्खलित हो जाये तो इसे शीघ्रपतन कहा जाता है। डेढ़ मिनट से कम स्तम्भन शक्ति रखने वाला व्यक्तिशीघ्रपतन का रोगी माना जा सकता है। ऐसे पुरुष अपनी सम्बन्धित स्त्रियों कीकामेच्छाओं को तृप्त नहीं कर पाते है। बार-बार ऐसा होने पर इसका अभ्यस्त होजाने के कारण वह उसका कोई प्रभाव नहीं लेते और ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्हें कुछ हुआ ही नहीं है।
इस रोग की ओर ध्यान न करना ऐसे लोगों की बड़ी भारी भूल होती है क्योंकि लगातार शीघ्रपतन होने से उनकी स्थिति बिगड़कर इस सीमा में आ जाती है कि वे पूर्ण नपुंसक बन जाते हैं।
इस समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों में वीर्य स्खलन के पश्चात् शिश्न तुरन्त ही ढीला पड़ जाता है तथा अगले 10-15 मिनट तक वे पुनः सम्भोग करने के लिए तैयार नहीं हो पाते। बल्कि कुछ लोग जो कई घण्टों के पश्चात् भी अपने को इस कार्य में असमर्थ ही पाते हैं चाहे उनकी साथी उन्हें इस कार्य के लिए कितना ही क्यों न तैयार करे।
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शीघ्रपतन का स्त्रियों पर कैसा प्रभाव पड़ता है :-
शीघ्रपतन के कारण क्या- क्या है :-
शीघ्रपतन रोग नहीं है :-
बड़ी आयु में शीघ्रपतन :-
शीघ्रपतन के रोगी क्या करते हैं :-
शीघ्रपतन का इलाज कैसे करें :-
सर्वप्रथम पेट सही करें पाचन शक्ति दुरुस्त करें तब शक्ति संग्रह की सोचें । निम्नांकित चिकित्सा व्यवस्था प्रयोग करें जिससे नया जोश नई और ताकत ही नहीं प्राप्त होगी बल्कि आप पूर्ण पुरुष बनेगें। शर्त यही है कि आहार-विहार का पूरी तरह पालन करें।
आहार-विहार
प्रातः काल 5 बजे बिस्तर छोड़कर आधा लीटर पानी पीकर शौच के लिए जायें फिर मंजन कर आधा घंटा खुली हवा में
टहलें। इसके बाद नाश्ते में 50 ग्राम मुनक्का (जो रात में पानी में भिगाये गये हो) तथा2 मीठे सेब छीलकर खूब चबा-चबाकर नाश्ता करें। नाश्ता 8 बजे तक जरूर कर लें। भोजन में हरी
सब्जी उबली हुयी, सलाद, दलिया, रोटी चोकर सहित लें। सुबह का भोजन 11 बजे तथा रात का भोजन 8 बजे तक जरूर कर लें । भोजन खूब चबा चबाकर तथा भूख से थोड़ा कम करें। दिन में भूख लगने पर 1-2 मीठे-पके आम या अन्य मीठे फल ले सकते हैं। सब्जी में लौकी, कहू, परवल, पपीता ही ठीक है।
चिकित्सा व्यवस्था-
वीर्य स्तम्भनवटी, वीर्यशोधन वटी, चन्द्रोदय वटी 1-1 गोली मिलाकर सुबह-शाम जल या दूध से सेवन करें। भोजरोपरान्त अश्वगन्धारिष्ट बलारिष्ट कुमारी आसव दो दो चम्मच में 6 चम्मच जल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें रात में सोते समय धातु पौष्टिक चूर्ण 3 ग्राम दूध के साथ ले दूध गाय का हो और केवल एक उफान लाया गया हो स्नान के दौरान शरीर को तौलिए से रगड़ कर साफ़ करें
परहेज
चाय काफी किसी भी प्रकार की खटाई तेज वनस्पति घी युक्त पदार्थ बेसन खोवा से बने पदार्थ एक पूर्णतया वर्जित हैं 40 दिन तक लगातार इलाज ब्रह्मचर्य का पालन पूर्वक करें इसके पश्चात सप्ताह मे केवल एक बार ही मैथून करें
इसका उपयोग करने से आप का पाचन तंत्र ठीक होगा और वजन बढ़ जाएगा शरीर में ताकत झलकने लगेगी इसका उपयोग कमजोर और शीघ्रपतन के रोगी कर सकते हैं
पेट की खराबी और वीर्य की गर्मी से होने वाली शीघ्रपतन का इलाज :-
आंवला सूखे 50 ग्राम, देसी सौफ 50 ग्राम ,शीतल चीनी 50 ग्राम और मिश्री 100 ग्राम ले ।और सभी वस्तुओं को कूट पीसकर छान लें ।और एक साथ मिलाकर डिब्बी में रख ले। 5 ग्राम शाम को दूध से लेते रहे । कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से मसाने की गर्मी शांत हो जाती है । और शीघ्रपतन में रूकावट होने लगती है । कब्ज ठीक करता है, वीर्य गाढ़ा हो जाता है, और वीर्य स्तंभन होता है। वीर्य स्त्राव को रोकता है।
नोट :- जुकाम खांसी की रोगी प्रयोग नहीं करें। गर्मी के दिनों में दोनों समय प्रयोग कर सकते हैं।
- सर्वप्रथम मस्तिष्क से यह विचार निकाल दें कि आप शीघ्रपतन के रोगी हैं क्योंकि विचारों में अपार शक्ति होती है। यदि हस्तमैथुन, गुदामैथुन, पशु-पक्षी मैथुन तथा अन्य किसी यौन विकृति से ग्रस्त हैं तो उसे तुरन्त त्याग दें। इस प्रकार शिश्न के स्नायुओं को विश्राम मिलेगा, उनकी संवेदना कम होगी तथा वे स्वस्थ हो सकेगे।
- इस समस्या के निवारण के लिए किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। इस रोग की चिकित्सा कुछ लम्बी होने पर विचलित न हों। बिना कोई बदपरहेजी किए चिकित्सक के निर्देशानुसार चलें।
- सम्भोग से पूर्व लिंग पर निरोध चढ़ा लेने से शीघ्र स्खलन नहीं होता। इसके अतिरिक्त सम्भोग के समय अपने विचार सम्भोग क्रिया से हटाकर किसी दूसरे विषय पर केन्द्रित रखें। करवट के बल सम्भोग करने से भी शीघ्रपतन नहीं होता। स्नान करते समय रीढ़ की हड्डी पर कम से कम 10 मिनट नल के ठण्डे पानी की धार डाला करें। ऐसा करना अपना नियम बना लें।
- सम्भोग से पूर्व यदि लिंग पर कोई ऐसी औषधि या क्रीम आदि की मालिश कर लिया ली जाये जिससे स्त्री को शीघ्र ही चरम सुख प्राप्त होकर वह स्खलित हो जाये तो यह समस्या सुलझ जाती है। विपरीत आसन अर्थात् स्त्री ऊपर पुरुष नीचे, अपनाने से भी शीघ्रपतन नहीं होता।
- शिश्नमुंड यदि अत्यधिक संवेदनशील है इस इस बढ़ी हुई संवेदना को दूर करने के लिए सामयिक प्रयोग के लिए कई मरहम जैसे जाइलोकेन ऑयण्टमेंट बाजार में उपलब्ध हैं जो कि लिंग की बढ़ी हुई संवेदना को कम कर देते हैं। इनके प्रयोग से शीघ्रपतन नहीं होने पाता। परन्तु इनका प्रयोग लम्बे समय तक नहीं करना चाहिए।
- अकरकरा, सोंठ, काफूर, केसर, पीपली, लौंग प्रत्येक 10 ग्राम लेकर कूट छानकर पीसकर चने के बराबर गोलियां बना लें। एक गोली प्रातः, एक गोली सायं दूध से खायें। जिन लोगों को चारों ओर से मायूस होना पड़ा हो उनके लिए यह अत्यन्त लाभकारी है।
- बबूल की ऐसी फलियां जिनमें अभी बीज न पड़े हों लेकर छाया सुखाकर बारीक पीसकर छान लें तथा किसी शीशी में रख लें। 10-10 ग्राम प्रातः दूध के साथ खायें। चाहें तो इसमें चीनी या मिश्री भी मिला सकते हैं। कुछ दिन के प्रयोग से शीघ्रपतन, स्वप्नदोष व धात जानाआदि रोग ठीक हो जायेंगे। इस बीच गरम, खट्टा, तेल व सम्भोग से परहेज करना चाहिए।
- सदियों में इस योग का प्रयोग करें। उड़द की दाल।किलोग्राम, पिस्ता 100 ग्राम, अखरोट की गिरी 50 ग्राम। मिश्री या दानेदार खांड1 कि.मा., बादाम 100 ग्राम, रात को वाले पानी में भिगो दें। सुबह को धोकर छिलका उतार लें फिर मिक्सी से पीस ले और धीमें आंच मे पकोड़े तल लें। इन पकोड़ों को गर्म-गर्म ही हाथों से बारीक करके घी में डालकर भूनकर कड़ाही नीचे उतार लें। बाद में मिश्री पहले बारीक करके रखी हो, डालकर अन्य मेवे भी मामूली बारीक करके डाल है। आवश्यकतानुसार और डाल सकते हैं । यह योग अत्यन्त स्तम्भक एवं शक्तिवर्द्धक है। हर प्रकार की कमजोरी और कमर के दर्द के लिए भी लाभदायकहै। चाहे लड्डू बनाकर रखें या वैसे ही खाते रहे। परन्तु यह अधिक दिनों के लिए बनाकर न रखें। डेढ़ सप्ताह के अन्दर समाप्त कर लें। घी और दूध का उपयोग भी अच्छा है। तेल, खटाई एवं गर्म वस्तुओं का परहेज करें।
- शीघ्रपतन से बचने के लिए वीर्य का शुद्ध अर्थात् गाढ़ा व ठण्डा होना आवश्यक है। यदि आपका वीर्य पतला तथा गर्म हो तो निम्न प्रयोग कम से कम 21 दिन तक अवश्य सेवन करें।
- त्रिफला, हरिद्रा 10-10 ग्राम, कबाब चीनी, मिश्री 30-30 ग्राम लेकर महीन चूर्ण बना लें। 3-6 ग्राम ठण्डे पानी के साथ दिन में दो बार लें। इस प्रयोग से वीर्य की गर्मी निकल जाएगी।
- वीर्य को गाढ़ा करने के लिए अश्वगंधा 100 ग्राम मिश्री 100 ग्राम का कपड़छान चूर्ण बनायें। 10-10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गौदुग्ध से चालीस दिन तक सेवन करें। इससे वीर्य गाढ़ा हो स्खलन कुछ समय बढ़ जाएगा। जिन लोगों का वीर्य शुद्ध है वे सम्भोग से एक घण्टा पूर्व एक तोला चूर्ण दूध से सेवन करें। पर्याप्त स्तम्भन होगा। यह प्रयाग प्रमेहनाशक तथा शरीर को मोटा करने वाला भी है।
- अधिक नमक खटाई खाने से शीवपतन होता है। अतः इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कौच के बीज, तालमखाना समान मात्रा में लेकर कूटकर छान ले 3 ग्राम की मात्रा में निरंतर संभोग और खट्टी चीज से परहेज रखते हुए 1 माह तक दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है तथा शर्मिन्दगी नही उठानी पडती है।